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होली कब है? होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
हिन्दू धर्म में त्योहारों का अलग ही महत्त्व है जितनी भाषा और जाति हमारे भारत देश में है उतने ही त्योहार भी है, इसी वजह से हमारे देश को विभिन्ताओ में एकता का देश भी माना जाता है। और एक त्योहार पुरे देश में मानाते है ,लेकिन अलग अलग जाति धर्म होने के कारण अलग अलग नामो से मानते है ।जैसे की हम जानते है मार्च का महीना चल रहा है और होली का त्योहार आने को है रंग बिरंग ये त्यौहार हमारे पुरे देश में बड़े ही धूम धाम से मानते है दो दिवसीय यह त्यौहार इस वर्ष कब ,कैसे और सही मुहूर्त क्या है और इसके मानाने की पीछे क्या कहानी है आइये जानते है ।होली का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को व बसंत ऋतू में मनाया जाता है ।यह एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है। यह रंगो का और खुशियों का त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के साथ साथ अन्य देशो में भी लोग मानाने लग गए है और खासतौर पर नेपाल में भी मनाया जाता है।
इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुए थी जिस में होलिका का पवित्र अग्नि में जल जाने के कारण जिस वजह से इस त्यौहार को होलिका दहन (Holika Dahan) भी कहा जाता है। यह होली के त्यौहार का पहले दिन मानते है और अगले दिन रंगो से भरा इस त्यौहार बड़े ही धूम धाम से लोग मनाते है जिसे हम धुलैंडी (Dhulandi) भी कहते है। लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते हैं। माना जाता है कि होली के दिन लोग गीले-सिकवे भुलाकर गले मिलते हैं।
अब हम जानते है की 2021 में होली कब है ? (2021 Mein Holi Kab Hai) और होलिका दहन (Holika Dahan Shubh Muhurat 2021) का पूजन का समय क्या है?
Holi 2021 Date: - होली 2021 की तारीख और पूजा का शुभ समय
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे
होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट
रंगवाली होली सोमवार, मार्च 29, 2021 को
भद्रा पूंछ -10:13 से 11:16
भद्रा मुख – 11:16 से 13:00
होली के दहन का महत्व-
हिन्दू धर्म के अनुसार मान्यता है कि घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए होली की पूजा की जाती है। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है, जिसमे लोग अपने घर से गोबर से बने छोटे छोटे चाँद तारे और अलग अलग आकार के बना के लेके आते है,और घर के सभी सदस्यों की उससे नजर उतार कर उस पवित्र अग्नि में जलाते है लोगों का मानना है की परिवार की बुरी नजर का अग्नि में दहन करते है और कुछ लोग नारियल व किसान भाई गेहूँ की पहले फसल का भी उसमे भोग लगाते है क्यू की उसमे भक्त प्रहलाद भी है ।और अंत में उस पवित्र अग्नि की परिक्रमा करते है।
होली के त्योहार के पीछे प्रचलित है ये मान्यता-
१:- पहला कारण यह है की -
होली को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है. कथा के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं, यशोदा ने मज़ाक़ में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा. इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है।
२:- दूसरा कारण यह है की -जिस वजह से होलिका दहन करते है -भक्त प्रह्लाद जो भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे उनके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था जो खुद स्वयं को ही भगवान मानता था और उसको वरदान था की उसे कोई नहीं मार सकता ।ना इंसान न ही मनुष्य ना वो आकाश ना धरती पे , उसे ऐसी बात का बहुत घमंड था और खुद को भगवान मानने की भूल कर बैठा न ही वह किसी भगवान की पूजा करता था न करने देता
जब उसे पता चला की उसीका बेटा भगवन विष्णु का बड़ा भक्त है तो उसे हिरण्यकश्यप ने पूजा करने से मना किया जब वह नहीं माना तो प्रह्लाद को मरवानें व मारने की बहुत कोशिश की जैसे की पहाड़ से निचे गिराना हाथी के पैर से कुचलवाना आदि लेकिन प्रह्लाद को हर बार भगवान विष्णु बचा लेते भक्त प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप को भी कहा आप भी भगवान की पूजा करो और ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का नाम ले जब ये सब बात सुनी तो उसे और ज्यादा गुस्सा आया और हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को जिसका नाम होलिका था
उसे बुलाया होलिका को एक वस्त्र रूप में वरदान मिला था की अगर वह इस वस्त्र को पहन कर अग्नि में भी बैठेगी तो भी नहीं जलेगी तो इन्ही सब बातों की वजह से हिरण्यकश्यप ने सोचा की अब उसे (प्रहलाद ) को अग्नि में जलाने की कोशिश में एक लकड़ियों की मृत्यु शय्या बनाई जिसपे होलिका बैठी व उसकी गोद में प्रह्लाद को बिठाया
जब अग्नि जलाई तब से ही भक्त प्रह्लाद हाथ जोड़कर ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का नाम जपने लगा जैसे ही अग्नि धीरे धीरे बढ़ने लगी होलिका को जलने का आभास हुआ उसे यकीन नहीं हो रहा था की वो जल रही उस अग्नि से प्रह्लाद तो बच गए लेकिन होलिका जल गए इसी कारण बुराई पे अच्छाई ki जित हुई और अंत में कुछ समय बाद भगवान विष्णु नरसिंह अवतार लेके भगवान की गोद में हिरण्यकश्यप भी मारा गया । इस अग्नि दहन की वजह से ही हम होलिका दहन मानते है की सारी बुराइया भी इसमें जलकर नस्ट हो जाए यही कारण है होली के त्यौहार मानाने का ।
तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको होली से सम्बंधित सारी जानकारी जैसे क्या ,कैसे कब ,क्यों जैसे सारे सवालों का जवाब देने का प्रयास किया है और 2021 की तरीक व समय की भी जानकारी देने का प्रयास किया तो आपको हमारा ये पोस्ट कैसा लगा कमेंट करके please जरूर बताए और ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करे जिससे आप के जैसे सभी लोगों को भी इसकी जानकारी हो ।।धन्यवाद ।।
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