जैसे की आपको पता है आज भी हम हमेशा की तरह एक खास त्यौहार के बारे में बात करेंगे हिन्दू धर्म में त्यौहारों का हमेशा से ही ज्यादा महत्त्व रहा है और उनमे से एक है , शीतला सप्तमी " जी हाँ दोस्तों आज हम " Sheetala saptami 2021: शीतला सप्तमी कब है?
जानें इस दिन क्यों खाते हैं बासी खाना, महत्व, पूजा विधि व मान्यता " के बारे में बात करेंगे की क्या महत्त्व है इस त्यौहार का व क्यू और कैसे , कब करते है आज हम विस्तार से बताएंगे :
यह त्यौहार ग्रामीण क्षेत्रों और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात राज्य में मनाया जाता है। दक्षिणी भारत के विभिन्न हिस्सों में, देवता को 'मरियममन' या 'देवी पोलरम्मा' के रूप में पूजा जाता है। शीतला सप्तमी का त्योहार आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के क्षेत्रों में 'पोलला अमावस्या' के नाम से भी मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी 2021: शीतला कब है? :
यह त्योहार हर साल होली के सातवे दिन मनाई जाती है। इस साल शीतला सप्तमी 3 अप्रैल है। यह श्रावण के महीने में दूसरी बार सप्तमी पर शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है। लेकिन दो दिनों में, चैत्र महीने में पड़ने वाली शीतला सप्तमी तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
शीतला सप्तमी का क्या महत्व है?
शास्त्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी शीतला देवी दुर्गा और मां पार्वती का अवतार हैं। इस शुभ दिन पर भक्त खास तौर पर माता और उनके बच्चे एक साथ पूजा करते हैं और देवी से प्रार्थना करते है , की छोटी माता और चेचक जैसी बीमारियों से सुरक्षित और हमेशा उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। 'शीतला' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'शीतलता' या 'शांत'।
शीतला सप्तमी के अनुष्ठान क्या हैं? इस त्यौहार को पूरी विधि से कैसे मानते है ????
1:- शीतला सप्तमी के दिन जल्दी उठके महिलाए इस दिन ठन्डे पानी से स्नान करके पूजा की तैयारी करते है ।
2:-शीतला सप्तमी के दिन चूल्हा ( गैस ) घर में नहीं जलता ऐसे एक दिन पहले ही रात में ठंडा कर दिया जाता है ।
3:-सप्तमी के लिए इस त्यौहार की तैयारी व नियम होली के दहन के दिन से ही शुरू हो जाती है क्यू की होली के दहन से लेकर शीतला सप्तमी तक कई लोगो के घर जिनके घर छोटे बच्चे है वे इन व्रत का पालन कुछ इस प्रकार करते है, राजस्थान राज्य में 7 दिन तक लोग सिलाई मशीन नहीं चलाते , आटा नहीं पिसवाते , और बहुत से ऐसे नियम है जिनका पालन करते है ।
4:- फिर 6 day पर लोग सातम की तैयारी करते है खाना बनाते है प्रशाद बनाते है इस पुरे दिन रसोई की काम चलता है फिर night में जब सब हो जाए गैस की पूजा करके बंद कर देते है ।
5:- क्यू की शीतला सातम के पुरे दिन गैस को चालू नहीं करते ।
6:- शीतला सातम के दिन पूजा की थाली सजाते जिसमे नारियल धुप , दिप , दही , प्रशाद , आदि लेके मंदिर जाते है , वह सीतला माता को दूध और दही से ठंडा करते है उस दिन कोई गरम प्रशाद वगेरा नहीं चढ़ता ।
7:- माता की पूजा करके प्रार्थना करते है बच्चो को हर छोटी बड़ी मुसीबतों से रक्षा करे।
8:- उसके बाद वह मंदिर में या घर आकर महिलाएँ शीतला माता की कहानी सुनते है उसके बाद ही भोजन करते है ।
शीतला सप्तमी व्रत कथा क्या है?
चैत्र का महीना आया।होली के बाद सप्तमी का दिन आया ,शीतला सप्तमी का दिन आया । एक गाव में शीतला माता आई । सब लोग बोलने लगे माता आई , माता आई , सब लोग उनके लिए खाना बनाने लगे कोई पुड़िया बनाने लगे कोई, शिरा बनाने लगे और उनसब का गरम गरम माता को भोग लगाया भोग गरम होने के कारण माता का पूरा शरीर अंदर से जलने लगा । माता दौड़ते दौड़ते कुम्हार के पास गए और माता ने कुम्हार को कहा मेरा शरीर अंदर से जल रहा है और मुझे |
तुम्हारी मिट्टि में लोटना है तभी माता उस मिटटी के गारे में लोटि और कुम्हार को कहा की तुम्हारे घर में कोई ठंडा खाने का है तो मुझे दो कुम्हार ने माता को राब , रोटी , माता को खाने के लिए दिया ।
और माता का शरीर ठंडा हो गया माता कहने लगी पूरा गाव दुःख में दुब जाएगा और कुम्हार तूने मुझे ठंडा किया तेरा घर सोने का हो जाएगा , कुम्हार बोलने लगा माता ऐसे तो मुझे पुरे गांव वाले मुझे मारने आजाएंगे , तब माता ने कहा ऐसा हो तो तू सबको मेरे पास भेज देना ।
और उसके बाद ऐसा ही हुआ जैसा शीतला माता ने कहा तो सब लोग कुम्हार के घर आए और बोलने लगे कुम्हार तूने क्या किया ऐसा की सारा गांव बरबाद हो गया और तेरा घर सोने का कैसे हो गया ।तब कुम्हार ने कहा मैंने कुछ नहीं किया मेने शीतला माता को ठंडा किया और आप सब लोगों ने माता को गरम गरम खाना खिलाया और माता का पूरा शरीर जलने लगा इसीलिए ये पूरा गांव बरबाद हुआ ।
सब पूछने लगे अब माता कहा है ?? कुम्हार ने कहा नीम के पेड़ के निचे ठंडी छाया में माता बैठी है ।सब लोग माता के पास गए और माता से विनंती करने लगे तब माता ने कहा तुम सब ने मुझे गरम खाना खिलाया जिससे मेरा मुह जल गया और मुँह में छाले हो गए । और कुम्हार ने मुझे ठंडा खाना खिलाया और में ठंडी हो गई इसीलिए पूरा गांव बरबाद हुआ और कुम्हार का घर सोने का हो गया ।
फिर सब लोग माता को पूछने लगे अब हम सब क्या करे ?तब माता ने कहा होली आने के बाद 7 दिन तक मेरे नाम के अकते रखना जिसमे पुराने समय में महिलाए सात दिन तक बाल नहीं धोती थी , आटा नहीं पिसवाती , सिलाई नहीं करती आदि ऐसी कही चीजे है जिन्हे अकता कहते है । फिर माता ने कहा शीतला सप्तमी के दिन मेरी पूजा करनी ठंडा भोग लगाना आदि ।
ऐसा कहने के बाद जब बारह महीने बाद शीतला सप्तमी आई तब गांव के राजा ने सबको कहा की कोई सर नहीं धोएगा , आटा नहीं पिसेगा और शीतला माता की पूजा करेंगे ठंडा खाने का भोग लगाएगा ।सब लोगों ने वही किया जैसा राजा ने कहा ऐसा करने से पुरे गांव में खुशिया हो गए और सारे दुःख दूर हुए ।
ये थी शीतला माता की कहानी अगर आप शीतला अष्ट्मी , बासोड़ा की कहानी 2021: शीतला अष्टमी कब है? जानें इस दिन क्यों खाते हैं बासी खाना, महत्व, पूजा विधि व मान्यता जानने के लिए हमारे पेज पर क्लिक करके पढ़ सकते और जान सकते है । ।धन्यवाद ।।
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